ऊषा जब सूरज के संग हिरन हुई
बादल बहके कविता में सुबह हुई,
प्रकृती के गात गात में महकी ऋतुगंध,
समय को शब्द दे लेखनी अमर हुई।
ऊषा जब सूरज के संग हिरन हुई
बादल बहके कविता में सुबह हुई,
प्रकृती के गात गात में महकी ऋतुगंध,
समय को शब्द दे लेखनी अमर हुई।