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विज्ञापन कहता है / राहुल शिवाय

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होगा विकसित देश
सिर्फ विज्ञापन कहता है

राम भरोसे भोजन, कपड़ा
शिक्षा औ आवास
अर्थ-शास्त्र भी औसत धन को
कहने लगा विकास
सम्मानित समुदाय
जेठ को सावन कहता है

जब-जब बात उठी है
बस्ती कब होगी मोडर्न
तब-तब मुद्दा बनकर आया
पिछड़ा और सवर्ण
क्या हालता है,
मुद्रा-दर का मंदन कहता है

जिसने सपने कम दिखलाए
हुआ वही कमजोर
तकनीकों ने संध्या को भी
सिद्ध किया है भोर
सब हल होगा,
बार-बार आश्वासन कहता है