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शिवरात्रि का पर्व / राहुल शिवाय

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शिवरात्रि के पर्व की, महिमा अगम अपार।
गौरी से जब शिव मिले, हुआ जगत विस्तार।।

गौरी माता मूल है, शिव जग के विस्तार।
शक्ति और शिव ने रचा, यह सारा संसार।।

होता है शिव भक्ति से, विघ्नों का प्रतिकार।
विष भी जग कल्याण को, किया हर्ष स्वीकार।।

सत वाणी,मन, कर्म से, करके शिव का ध्यान।
जीवन में पाता मनुज, खुशियों का वरदान।।

करते हैं सबके हृदय, शिव औ शक्ति निवास।
पाते इनको हैं वही, सत जिनका विश्वास।।

त्रयोदशी का यह दिवस, श्रद्धा का त्योहार।
शिव दर्शन की चाह में, लम्बी लगी कतार।।

हर-हर, बम-बम नाद से, गूँज रहा शिव धाम।
सुर में सारे बोलते, शिव-शंकर का नाम।।