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मनु का तिलिस्म / अरविन्द भारती

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शुक्राणु अंडाणु की
प्रेम कहानी में
चाँद
जब अपने
पूरे शबाब पर था

नदी गुनगुना रही थी
गज़ल

ठीक तभी
एकाकार होते वक़्त
एक और तत्व
चुपके से
प्रविष्ट होता है
समा जाता है
गर्भ में

भ्रूण बनते ही
ले लेता है
आकार
धर्म और जाति के रूप में।