भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मनु का तिलिस्म / अरविन्द भारती
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:09, 26 फ़रवरी 2020 का अवतरण
शुक्राणु अंडाणु की
प्रेम कहानी में
चाँद
जब अपने
पूरे शबाब पर था
नदी गुनगुना रही थी
गज़ल
ठीक तभी
एकाकार होते वक़्त
एक और तत्व
चुपके से
प्रविष्ट होता है
समा जाता है
गर्भ में
भ्रूण बनते ही
ले लेता है
आकार
धर्म और जाति के रूप में।