Last modified on 26 फ़रवरी 2020, at 18:09

मनु का तिलिस्म / अरविन्द भारती

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:09, 26 फ़रवरी 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शुक्राणु अंडाणु की
प्रेम कहानी में
चाँद
जब अपने
पूरे शबाब पर था

नदी गुनगुना रही थी
गज़ल

ठीक तभी
एकाकार होते वक़्त
एक और तत्व
चुपके से
प्रविष्ट होता है
समा जाता है
गर्भ में

भ्रूण बनते ही
ले लेता है
आकार
धर्म और जाति के रूप में।