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शांति के पेड़ / पूनम मनु

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अजीब बात है
पेड़ों पर शांति है आजकल
ये शांति के पेड़ है।
इनकी शाखों पर शांति से लटकते हैं,
धरतीपुत्र, इंजीनियर, पत्रकार,
छोटे-बड़े लड़के-लड़कियाँ और
औरतों के आँचल भी...
फलते-फूलते पेड़
अभी और फूलेंगे
दिन ब दिन निकलती
नई टहनियाँ बताती हैं
धरती पर मिले न मिले
इन पर पनाह ज़रूर मिलेगी हर मासूम को
इधर दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ती
गिद्धों की संख्या
जल्द ही सफाचट कर देगी
गाँव के गाँव शहर के शहर
लंबे पेड़ की सबसे ऊंची शाख पर बैठा उल्लू
जल्द ही उड़ने वाला नहीं
आँखें मींचियाता सूरज गवाही देता है
ऐसे पेड़ों के नीचे से गुजरने वाली भीड़
सबसे ज़्यादा सयानी है
उसने अपनी बारी से पहले ही
बांध ली है आँख पर पट्टी
आँख पर पट्टी बांधकर चलने वाले लोग
कानों में क्या ठूँसते होंगे...
सोचती हूँ मैं।