Last modified on 16 मार्च 2020, at 23:27

सृजन / प्रवीन अग्रहरि

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:27, 16 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रवीन अग्रहरि |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक कवि जब कुछ लिख रहा होता है
या कोई संगीतज्ञ जब संगीत में डूबा होता है
या कोई भी सृजनशील व्यक्ति कर रहा होता एक नया सृजन
उस क्षण को पकड़िए, उसका अवलोकन करिये।
उस समय उनकी स्मृतियाँ गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध होती हैं
वो तब इस जमीन में नहीं रहते, संतुलन में नहीं रहते
तब वह दादियों के जादुई किस्से हो जाते हैं।
तब वह बुद्धों के देश के हिस्से हो जाते हैं।