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बाबूजी जइसे / सुभाष चंद "रसिया"

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बाबू जी जइसे जग में, सलाहकार ना मिली।
भाई निहन तोहके केहू, भागीदार ना मिली॥

अँगुरी पकड़ के जे चले के सिखावे।
बनके जे हाथी अपनी पीठ पर घुमावे।
ढोवै खातिर अइसन असवार ना मिली॥

ममता कि छांव में पलली हमके माई।
अपने अचरवा ओढ़े हमके दुलाई।
बिना स्वार्थ के माई जैसे प्यार के करी॥

रेशम की डोरी से कलाई जे सजावे।
नेहिया के दियवा जे घर में जरावे।
बहना जइसे केहू मददगार ना मिली॥

प्रीत के पंछी जोडेले परिवार के।
इहे बाटे रीति रसिया जी संसार के।
तिरिया जइसे केहू जोड़ीदार ना मिली॥