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इश्क़ के बीमारी से / सुभाष चंद "रसिया"

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ये इश्क की बीमारी से इंसान ई परेशान बा।
जिनगी कइसे के बीती ओकरा तनिको ना ध्यान बा।
समझे ना समझावे से कइसन ई इंसान बा।
का कही ये भइया जी एकरा तनिको ना ज्ञान बा॥

हो गोरी फोनवा पर केतना बताई
पढाई अब नीक नाही बा।

हरदम फोनवा पर करेलु बतिया।
कहेलू कइसे बिताई अब रतिया।
तोहके हरदम कइसे समझाई॥
पढाई अब नीक नहीं बा॥

हमरा के तू नाही देखलु ये सपना।
कइसे के कहेलु हमरा केअपना।
भैया भाभी से तू करेलु बड़ाई॥