होगी पेपरलेस पढ़ाई,
बहुत आजकल हल्ला।
कागज की तो शामत आई,
बहुत आजकल हल्ला।
कागज-पेन-किताबों की तो,
कर ही देंगे छुट्टी।
बस्ते दादा से भी होगी,
पूरी-पूरी कुट्टी।
पर होगी कैसे भरपाई,
बहुत आजकल हल्ला।
रबर-पेंसिल-परकारों का,
होगा काम न बाकी।
चांदा-सेटिस्क्वेयर-कटर भी,
होंगे स्वर्ग निवासी।
होगी कैसे सहन जुदाई,
बहुत आजकल हल्ला।
ब्लैकबोर्ड का क्या होगा अब,
रोज पूछते दादा।
पेपरलेस पढ़ाई वाला,
होगा पागल आधा।
चॉक करेगी खूब लड़ाई,
बहुत आजकल हल्ला।
कभी किराना सब्जी लेने,
जब दादाजी जाते।
लेकर पेन किसी कॉपी में,
सब हिसाब लिख लाते।
हाय करें अब कहाँ लिखाई,
बहुत आजकल हल्ला।
रखे हाथ पर हाथ रिसानी,
बैठी मालिन काकी।
कागज पर ही तो लिखती है,
जोड़ घटाकर बाकी।
कर्ज वसूले कैसे भाई,
बहुत आजकल हल्ला।
कागज-पेन-किताबें ओझल,
कैसी होगी आंधी।
पूछो तो इन बातों से क्या,
सहमत होंगे गांधी।
यह तो होगी बड़ी ढिठाई,
बहुत आजकल हल्ला।