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संग यादों के / प्रगति गुप्ता

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चलो तुम्हें खुद के संग
सफ़र में ले चलूँ
कुछ तुम्हारी बातें
कुछ भूली बिसरी यादें
रख अटैची में
करीने से तह किये
कपड़ों के बीच
चलो तुम्हें खुद के संग
सफ़र में ले चलूँ
जब कुछ और नहीं हो करने को
संग हवा, पेड़ पौधें,
और उनकी छाँव तले,
तेरी यादों को बुनती चलूँ...
देख तू भी कैसे
समय से तुझे चुरा, चुराकर
तुझे संवारती चलूँ...
प्रिय चल
तुझे खुद के संग
सफ़र में ले चलूँ...