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लड़कियां / प्रदीप कुमार
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लडकियाँ हैं तो उत्सव है
उमंग है
विदाई के गीत हैं
लडकियाँ हैं तो संगीत है
प्रेम है प्रीत है
लडकियाँ हैं तो सजती हैं चूड़ियाँ,
जंचते है कंगन
लडकियाँ हैं तो संस्कार है,
रिश्तों में खनकती झंकार है
लडकियाँ हैं तो सावन के झूले है
राखी का त्यौहार है
होली है
रंगों की फुहार है
लड़किया हैं तो भाव है,
अलहड़पन है लगाव है
लड़कियाँ हैं तो देने का सुख है
लड़कियाँ बुनियाद है
परिवार का आधार हैं॥