भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सत्य का पथ है निराला / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:58, 3 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=ग़ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सत्य का पथ है निराला।
है यही तो मार्ग आला॥

नष्ट करता है अँधेरा
भोर का अनुपम उजाला॥

उग रहीं शुभ रश्मियाँ हैं
रात्रि का रँग नष्ट काला॥

है नहीं कटता सहज ही
लोभ का संश्लिष्ट जाला॥

उड़ गया खग तोड़ पिंजरा
मोह ममता से सँभाला॥

देह की हर कामना को
है मिटाती मृत्यु बाला॥

साँवरे अब तो पिला दे
प्रेम अमृत इष्ट प्याला॥