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नहीं वजह है मिली आज मुस्कुराने को / रंजना वर्मा

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नहीं वजह है मिली आज मुस्कुराने को।
जहाँ बेताब है सर आप का झुकाने को॥

सुकून मिलता नहीं अब किसी तरह यारो
मुसीबतें हैं खड़ी चैन सुख चुराने को॥

हज़ार गम हैं कलेजे को कर रहे छलनी
नहीं जगह है बची जख़्म नया खाने को॥

कदम बढ़ाइए कि दूर अब नहीं मन्ज़िल
नहीं है वक्त रहा अब किसी बहाने को॥

छुपाए रखते हैं तस्बीर आपकी दिल में
खबर लगे नहीं इस राज़ की ज़माने को॥

न आँधियों का कोई दोष है न लहरों का
मचल रही है ये कश्ती ही डूब जाने को॥

वफ़ा के रास्ते मुश्किल हैं जानते सब हैं
कसम उठायें तो तैयार हों निभाने को॥