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काली घटा / मुस्कान / रंजना वर्मा

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काली घटा गगन में छायी।
मोती-सी बूँदें बरसायीं॥

देख मगन हो नाचा मोर
लगे मचाने मेढ़क शोर॥

भौंरे बोले गुन-गुन गुन।
तितली बोली कुछ तो सुन॥

फूलों के सँग झूमी डाल।
कलियाँ हुईं लाज से लाल॥

धरती पर आयी बरसात।
दिन में ही लो हो ली रात॥

इंद्रधनुष के सातों रंग।
लगे मचाने अब हुड़दंग॥