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जो बीता वह कल मत माँगो / रंजना वर्मा

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जो बीता वह कल मत माँगो।
जीने का सम्बल मत माँगो॥

जिनमें सपने तैर रहे उन
आँखों का काजल मत माँगो॥

हम बंजारे हैं सपनों का
प्यारा ताजमहल मत माँगो॥

पग-पग कठिन समस्याएँ हैं
हर उलझन का हल मत माँगो॥

सुधा और मदिरा सब दे दी
यह जो बचा गरल मत माँगो॥