अगर साँवरे ने बुलाया न होता / रंजना वर्मा

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अगर साँवरे ने बुलाया न होता।
दरश भक्त ने उसका पाया न होता॥

धनी हो न पाता दरिद्री सुदामा
गले श्याम ने यदि लगाया न होता॥

न सुनता अगर टेर गज की कन्हैया
उसे ग्राह-मुख से बचाया न होता॥

न गणिका जगत सिंधु से मुक्ति पाती
जो हरि नाम शुक को पढ़ाया न होता॥

न पद्मावती अग्नि का ताप सहती
जो दरपन में मुखड़ा दिखाया न होता॥

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