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मेरी नींद कोई चुरा ले गया / रंजना वर्मा

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मेरी नींद कोई चुरा ले गया।
जला रौशनी का दिया ले गया॥

खिला दिल में था फूल अरमान का
समय बन लुटेरा उठा ले गया॥

सुकूँ मान जिसको लगाया गले
वही दर्दे दिल की दवा ले गया॥

समन्दर मुहब्बत का कहते जिसे
मेरी हर खुशी वह बहा ले गया॥

कदम हर जो ठोकर लगाता रहा
छिपा दिल का हर हौसला ले गया॥