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सेब / लक्ष्मी खन्ना सुमन
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लाल हरे रंगीले सेब
खाओ मीठे पीले सेब
दादी ने दद्दू खातिर
खुश-खुश हँस-हँस छीले सेब
रोग दूर सब रहे अगर
खाओ रोज रसीले सेब
धूप खिले, पेड़ों लगते
चटकीले चमकीले सेब
बर्फ पहाड़ों खूब गिरे
फूलें सब सजीले सेब
फल कितने हैं, पर बाबू
महँगे मीठे भी ले सेब
ऊँचे पर्वत पर पकते
सुंदर 'सुमन' हठीले सेब