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गैया / लक्ष्मी खन्ना सुमन
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मेरी प्यारी-प्यारी गैया
दूध खूब दे न्यारी गैया
चारा हरा इसे दूँ जब मैं
खाए भर हुंकारी गैया
बछड़ा इसका छोना-मोना
चाटे उसे दुलारी गैया
मक्खन वाला दूध सभी का
क्या भूरी, क्या 'कारी' गैया
बैल बनेगा बछड़ा मेरा
खुश-खुश कहे हमारी गैया
'कृष्ण-कन्हैया' मुझे चराएँ
कहे गर्व से न्यारी गैया
किसने छोड़ा बाज़ारों में
फिरती मारी-मारी गैया