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अतीत / ओम व्यास

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कलम भी लगती है-बहकने
सुखने लगती है स्याही
लगती है भदरंगी
कागज भी मानों प्रतिकार करता हो
शब्द लगते है-रुख से
जब भी कभी
कोशिश करता हूँ
"अतीत" को लिखने को