Last modified on 10 अप्रैल 2020, at 19:19

जिन्दगी और याद / ओम व्यास

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:19, 10 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम व्यास |अनुवादक= |संग्रह=सुनो नह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जिन्दगी
से पीछे छूटती तारीखें
गीली रेत पर पैरों के निशान सी
छोड़ देती है कुछ यादें।
यादें...
जो बिसरती जाती है कुछ

समय चक्र के चलते,
कुछ
बड़ी घटनाओं के तले,
और कुछ
मजबूरन मिटा देता है
आदमी
अंजाम न दे पाने पर
पर फिर भी
चहरे की झुरियों को बटोरे
गठरी सा पड़ा होता है वह
चारपाई पर जब
एक पहाड़ का
अहसास करता है,
छोटी बड़ी, खट्टी मीठी
यादों का पहाड़
जिन्दगी का पूरा सफ़र
यादों का काफिला
संग संग
शुरूआत से खात्मे तक