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चाहत / ओम व्यास
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सिग्नल को
प्लेटफार्म पर खड़े हुए
वर्षों हो गये,
नहीं खिसका वह एक इंच
अपनी जमीन से।
उसके संकेत ने
तय करवा दी
लाखों यात्रियों कों / लाखों किलोमीटर की
दूरियाँ
और आ जा सकी है, हजारों रेल
यहाँ से वहाँ।
देखता हूँ / सोचता हूँ
कितना विवश है / बेचारा सिग्नल
प्लेटफार्म पर सबसे ऊंचा होकर भी
हो सकता है सिर्फ़ ऊपर नीचे
अप्पणी जगह पर।
किसी शरीर में फँसे
एक दिल की तरह
जो धड़कता तो है
पर पा नहीं सकता 'वह'
जिसकी उसे 'चाहत' है।