Last modified on 10 अप्रैल 2020, at 23:26

चिड़ियों का सुख / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:26, 10 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हुआ प्रात लो चिड़ियाँ चहकी
इनकी जुड़ी बरात
आज वर्ष का पहला दिन है
आया नया प्रभात
पूछ रही आपस में ये सब
कहाँ आज क्या पाया
सब कहते हैं आज आ गया
नया वर्ष लो आया, आया
हमें चाहिए मिल जायें बस
खाने को कुछ ही दानें
हरे वृक्ष की डाल चाहिए
गाँएँ मिल कर मीठे गाने
और हमे क्या, आता रहता
नया वर्ष हम क्या जाने
छोटी-सी दुनियाँ है अपनी
इसमें ही अपना सुख मानें