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सुनो मधुमालती ! / अर्पिता राठौर

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सुनो मधुमालती !

मैं
चाहती हूँ कि
सहजता बनी रहे,

जो दे पाए सिर्फ़
मुझे साहस
बदलने का

बिल्कुल वैसे
जैसे तुम

रात में महकी हुई
गुलाबी,
सुबह हो जाती हो
फिर सफ़ेद…