भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लोरी - 1 / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:50, 11 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मुन्नू सोया, चुननु सोया,
कुन्नु भी धीरे आ सोया।
तीनों को ही इनकी नानी,
सुना रही थी एक कहानी।
सुनकर तीनों झूम उठे थे,
नानी को ही चूम उठे थे।
तारे उतरे थे धरती पर,
लगे खेलने खेल मनोहर।
पारियाँ आयी, चमचम लायी,
टॉफी, रसगुल्ले भी लायी।
तीनों को थी मिली मिठाई,
बड़े स्वाद से सबने खायी।