Last modified on 11 अप्रैल 2020, at 15:22

तुलसी का पौधा / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:22, 11 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुलसी का नन्हा-सा पौधा
पत्तों से है हरा भरा,
ऊपर उठी हुई मंजरियाँ
मानो सिर पर मुकुट धरा।
दादी इसमें पानी देती
कहती हैं जल दिया गया,
नमस्कार करती संध्या को
रखती जलता एक दिया।
ऑक्सीज़न का झरना है यह
पर्यावरण स्वच्छ रखता,
वह पवित्र पौधा है सबके
मन में भक्तिभाव भरता।
इसके जैसा जीवन कर लें
हम समदर्शी बन जाएँ,
बदबू के झंडे उखाड़ दें
अपनी ही खुशबू फैलाएँ।