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धीरे बहना मस्त समीरण / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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जगे न मेरा प्यारा बेटा
धीरे बहना मस्त समीरण
अपना आंचल उढ़ा रहीं हूँ
तुम न उड़ा दें चंचल बन
यह मेरे सुख का सपना है।
सबसे कुछ न्यारा अपना है।
इसे प्यार करने को कितना
तरस चुका है मेरा तनमन
यह मेरा है सुन लो तुम भी
मेरी बातें गुण लो तुम भी
इसके हित जीने में ही तो
सार्थक लगता अपना जीवन
यह हँस देगा हँस दूँगी मैं
यह रो देगा रो दूँगी मैं
भोले मुख की प्यारी छवि ही
है मेरी जीवन-संजीवन