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हम मन के विपरीत लिखें / उर्मिलेश

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कड़वे घूँट पियें फिर कैसे
मीठे गीत लिखें
तुम्हीं बता दो
कैसे हम मन के विपरीत लिखें।

खादी से दिन जीकर
कैसे लिखें रेशमी रातें,
लोहे के निब से न लिखीं जातीं
सोने-सी बातें;

शंकित वर्तमान है
कैसे इसे अभीत लिखें?

जिस धारावाहिक जीवन की
साँस-साँस सैंसर हो,
इच्छाओं के प्रोड्यूसर पर
हावी डायरेक्टर हो;

जो अभिनेय न हो उसको
कैसे अभिनीत लिखें।
आज शिल्प मालिक बन बैठा
ऊँचे सर्जन-महल में,
और कथ्य बैरागिरी करता
उसके होटल में;

ऐसे में रचना कैसे हम
आशातीत लिखें