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कौन है ऐसा चितेरा / राघव शुक्ल

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कौन है जिसने परिन्दों को परों से है नवाजा
कौन है बसता हृदय में और कण-कण में विराजा
कौन वह जिसने क्षितिज पर है धरा नभ को मिलाया
कौन जिसने चन्द्रमा को है सुधा का घट पिलाया
कौन जिसने रंग फूलों तितलियों में है बिखेरा
कौन है ऐसा चितेरा

कौन सागर की तरंगों में उफनता ज्वार लाया
कौन जिसने सीप के भीतर कहीं मोती छुपाया
कौन है जिसने मनोहारी प्रकृति के चित्र खींचे
कौन जिसने साँझ होते ही दिवस के नैन मींचे
कौन है वह रात के जो बाद में लाया सवेरा
कौन है ऐसा चितेरा

कौन जिसने एक नन्हे बीज को पौधा बनाया
कौन जो बहते पवन के साथ काले मेघ लाया
कौन जिसने पर्वतों से धार नदिया कि निकाली
कौन है जिसने जगत की डोर हाथों में सम्हाली
कौन जिसने भर दिया है चाँद सूरज में उजेरा
कौन है ऐसा चितेरा