भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जहाँ आदमी आदमी होता है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:29, 28 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जहाँ
आदमी
आदमी होता है,
यहाँ
— आप नहीं —
आपके आदमी होने का
धोखा होता है ।
06 अगस्त 1980