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आज की रात / कुमार विकल
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[नरेश के साथ]
आज की रात हमें
कुछ जगहों पर जाना है
और मक़बरे में पड़े
कुछ लोगों को जगाना है
और वे सारे क़फ़न
जो हमारे कपड़ों में से
चुरा कर बनाए गए थे
उन्हें वापस ले जाना है
और उसके बाद उन्हें
उन्हीं के मक़बरों में
दोबारा दफ़ना कर
अपनी खुली ज़िन्दगी में लौट आना है
क्या आपने कभी रात को
लाल आँखों वाले ख़रगोश को
झाड़ियों से ऊछलते हुए देखा है?
इस समय चार लाल आँखें
मशालों की तरह जल रही हैं
शहर के मक़बरे वाले हिस्से की ओर
चल रही हैं.