भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पश्चिममा घाम डुब्यो / गीता त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:50, 3 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गीता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह=थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पश्चिममा घाम डुब्यो
मनको आशा सुक्यो
चौतारीमा कुरिबसेँ
गोधुली साँझ दुख्यो
 
कहिले बग्दै तीरैतीर
कहिले चढ्दै भीर
चिसो बतास खोजिरहेँ
देउरालीमा पर्खिएर
 
आशैआशमा रात पर्यो
मुटुले ठाउँ छाड्यो
सबै खुसी पखालेर
जूनले आँसु झार्योो