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पश्चिममा घाम डुब्यो / गीता त्रिपाठी
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पश्चिममा घाम डुब्यो
मनको आशा सुक्यो
चौतारीमा कुरिबसेँ
गोधुली साँझ दुख्यो
कहिले बग्दै तीरैतीर
कहिले चढ्दै भीर
चिसो बतास खोजिरहेँ
देउरालीमा पर्खिएर
आशैआशमा रात पर्यो
मुटुले ठाउँ छाड्यो
सबै खुसी पखालेर
जूनले आँसु झार्योो