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सूनैसूनको लङ्का हैन / गीता त्रिपाठी

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सूनैसूनको लङ्का हैन
मनैभरि शङ्का हैन
झुपडीको हाँसखेल, सातैजूनी उस्तै मेल
आकाशको पानी जस्तो मन
चाहिँदैन ज्यानै लिने, सहरको मन बराल्ने धन
 
गाउँबेंसी मेलापात, जुनेलीको न्यानो साथ
घन्काएर जोर मादल रोदीघरमा जम्ने रात
मारूनीको तालमा नाच्ने मन
चाहिँदैन ज्यानै लिने, सहरको मन बराल्ने धन
 
लाँकुरीको शीतल छाया, मायालुको मीठो माया
मनभरि सुखचैन, पराई भन्नु कोही छैन
सागरसरि फैलिएको मन
चाहिँदैन ज्यानै लिने, सहरको मन बराल्ने धन