भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाँसीहाँसी टाढा भयौ / गीता त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:30, 3 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गीता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह=थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तिमी हिँड्यौ पक्की बाटो म त भीरमा
हाँसीहाँसी टाढा भयौ मेरो पीरमा
 
फर्की आउने आश छैन बस्ने बास छैन
जिन्दगीको आभासमा न्यानो सास छैन
पोली गयौ मेरो मुटु उनी झिरमा
हाँसीहाँसी टाढा भयौ मेरो पीरमा
 
पहरामा कुहिनोको कहाँ चल्छ जोड
ओरालीमा लखेट्नेले कहाँ दिन्छ ओढ
पैतालाले किची गयौ राखेँ शिरमा
हाँसीहाँसी टाढा भयौ मेरो पीरमा