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बाल कविताएँ / भाग 15 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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पेड़ लगाओ

पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ
गुरु जी हमको समझाते ।

बिना पेड़ धरती है सूनी
पेड़ सभी हैं खुशियाँ लाते।

मीठे फल और सुन्दर फूल,
छाया देकर सुखी बनाते ।


मेरी गुड़िया

मेरी भोली गुड़िया रानी
सुनती मुझसे रोज़ कहानी।

आँखें नीली सुन्दर बाल
परियों -जैसी इसकी चाल

बढ़िया जूते-कपड़े पहने
मेरी गुड़िया के क्या कहने !


विद्यालय

लेकर बस्ता हँसी -खुशी से
विद्यालय में जाते हम ।

मिल-जुलकर हम पढ़ते-लिखते
मिल-जुल करके गाते हम ।

अच्छी-अच्छी बातें ही सब
सदा सीखकर आते हम ।


मदारी

डुगडुग- डुगडुग डमरू बजता
उछल-उछलकर चले मदारी ।
नाचे बन्दर और बंदरिया
भीड़ देखती उनको सारी।

रूठ बंदरिया घर को जाती
बंदर उसे मनाकर लाता।
कान पकड़कर, नाक रगड़कर
देखो सबका मन बहलाता ।


प्रार्थना

हरे-भरे पेड़ और पौधे
हे भगवान् ! बनाए तुमने ।

रंग-बिरंगे ख़ुशबू वाले
अनगिन फूल खिलाए तुमने।

तरह-तरह की बोली वाले
पंछी भी चहकाए तुमने ।

सूरज चाँद रोशनी बाँटे
तारे भी चमकाए तुमने ।