भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिड़िया की आँख / राजेन्द्र राजन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:58, 5 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र राजन |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
शुरू से कहा जाता है
सिर्फ़ चिड़िया की आँख देखो
उसके अलावा कुछ भी नहीं
तभी तुम भेद सकोगे अपना लक्ष्य
सबके सब लक्ष्य भेदना चाहते हैं
इसलिए वे चिड़िया की आँख के सिवा
बाक़ी हर चीज के प्रति
अन्धे होना सीख रहे हैं
इस लक्ष्यवादिता से मुझे डर लगता है
मैं चाहता हूँ
लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा चीज़ें दिखाई दें ।