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शब्द बदल जाएँ तो भी / राजेन्द्र राजन

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वे जान गए हैं
कि नहीं उछाला जा सकता
वही शब्द हर बार
क्योंकि उसका अर्थ पकड़ में आ चुका होता है

इसीलिए
वे जब भी आते हैं
उछाल देते हैं कोई और शब्द

गिरगिट के रंग बदलने की तरह
जब बदल जाएँ शब्द
तो अर्थ वही रहता है
शब्द बदल जाएँ तो भी

   (१९९५)