Last modified on 6 मई 2020, at 22:49

नई भोर / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:49, 6 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} Category:...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नई भोर की
नई किरन का
स्वागत कर लो ।
आँखों में तुम
आशाओं का
          सागर भर लो
भूलो बिसरी बातें
दर्द-भरी
अँधियारी रातें ।
शुभकामना
की देहरी पर
सूरज धर लो ।
वैर-भाव मिट जाए
मन से , तन से
इस जीवन से ।
जगे प्रेम नित,
दुख सारी
दुनिया का हर लो।