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‘कोवा-कोवा का-का-का’ / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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तोता टें-टें करता है
कुहू- कुहू कोयल गाती ।
टिवी-टू-टि-टिट्-टिवी-टि-टिट्
चीख टिटिहरी चिल्लाती ।

छत पर घूमे इधर-उधर
करे कबूतर गुटर्र गूँ ।
गौरैया घर में चहकी
चीं-चीं-चीं-चीं, चूँ- चूँ-चूँ ।

सुबह जाग मुर्गा बोला-
कुकड़ू-कूँ कुड़- कुकड़ू-कूँ ।
बैठ नीम की डाली पर
करती फाख्ता -तूहू -तू ।

जब-जब बादल घिरते है
पिहू -पीहू करता मोर
‘कोवा-कोवा का-का-का’
जलमुर्गी करती है शोर ।