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महोत्सव / युद्धप्रसाद मिश्र

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अशान्तिको धरित्रिमा
छ आज दन्केको चिता
उखाडिनु छ दुर्दशा
हुँदै प्रभुत्ववादिता

मिटाउने गरीबका
रगत् निचोरने प्रथा
उदीयमान छन् हुँदै
मनुष्यमा मनुष्यता

ज्वलन्त रक्त क्रान्तिका
चरित्रले सुशोभित
हुँदैछ आज विश्वमा
युवा चिराग ज्योतित

दिने कठोर ब्रत गरी
नढल्न आत्म गौरव
उठिरहेछ ज्यूँनुको
अति ठूलो महोत्सव