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सक्दछु फड्किन / युद्धप्रसाद मिश्र
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सक्दछु फड्किन लड्दिन सितिमिति
फड्के खाडल साहसले जिती
लडे हिलोमा बिचरा तड्पी
दिदी हाँसिन् खितिति
म ता डराएँ भो मुटु ढुकढुक
लाग्यो मेरा मनमा दुःख
देखि हिलाम्य तिनको त्यो मुख
लाग्यो भुक्न कुकुर भुक्भुक्