Last modified on 14 मई 2020, at 22:32

रंग ज़िन्दगी के / मधुछन्दा चक्रवर्ती

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:32, 14 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुछन्दा चक्रवर्ती |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कैसे-कैसे रंग ज़िन्दगी के
आँखों में उतरते जाते हैं
कुछ रंग आँखों को चमकाते हैं
कुछ तिरछे कर देते हैं
कुछ जुगनुओं धो देते हैं
तो कुछ सिर्फ़ थोड़ा गीला करते हैं
ज़िन्दगी के ये रंग आँखों में सदा रहते हैं
जब नहीं रहते तो अँधेरा कर देते हैं
मन में समाकर वह फिर सपना बनकर
आँखों को जगाते रहते हैं
कैसे-कैसे करके ये रंग ज़िन्दगी के
आँखों में उतरते जाते हैं।