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पाँच खिडकियों वाले घर / शतदल

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दर्पण में
जन्मी छाया से
मैंने अपनी कथा कही ।

बहुत बढ़ाकर
कहने पर भी
कथा रही
ढाई आखर की
गूँज उठी
सारी दीवारें
पाँच खिड़कियों
वाले घर की

एक प्रहर
युग -युग जीने की
सच पूछो तो प्रथा यही ।