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उनको मालूम है / कुमार राहुल

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उनको मालूम है
कब और कहाँ
कौन-सी बात
कहनी है कैसे

कब और कितनी
दबाई जाए नब्ज़
कि मर्ज़ को भी
हो न ख़बर

पहचानते हैं वह
हवा का रूख़
मिटटी की नमी और
परिंदों के डेरे

चखा है लबों ने
हर दौर में
लहू का रंग

फिर चीख़ औरतों की हो
या बच्चों की
दबा ले जाती है उन्हें
गोलियों की आवाज़

वक़्त मिटा देता है
गहरे से गहरा निशान
उनको मालूम है...