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प्रेम / बद्रीप्रसाद बढू

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 कोरा मायाँ कपटी मनको चाहना प्रेम हैन
गन्धे गन्धे तरुण वयको वासना प्रेम हैन
वर्षौं वर्षौं अमिट रहने प्रेम यौटा कथा हो
पीडा थप्ने मृदुल मुटुमा प्रेम यौटा व्यथा हो//