भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
होंठ जलते हैं मुस्कुराने से / नक़्श लायलपुरी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:33, 18 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=नक़्श लायलपुरी | संग्रह = }} {{KKCatGhazal}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
होंठ जलते है मुस्कुराने से
फिर भी शिकवा नही ज़माने से
यह गीत नक़्श साहब ने एक टी०वी० धारावाहिक के लिए लिखा था। इस गीत के बोल अगर आपके पास हों तो कृपया कविता कोश को उपलब्ध करा दें। हम आपके आभारी रहेंगे।