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रंजो अलम की बात न पूछो / नमन दत्त

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रंजो अलम की बात न पूछो।
दुनिया कि सौग़ात न पूछो॥

दिन फिर दिन है, कट जाएगा
कैसे कटेगी रात, न पूछो॥

दिल में दफ़्न है जो मुद्दत से,
अपने वह जज़्बात न पूछो॥

शैख़ो-बरहमन तुमको मुबारक़,
हम रिन्दों की ज़ात न पूछो॥

एक तवायफ़ है कोठे की,
दुनिया कि औक़ात न पूछो॥

इश्क़ो-वफ़ा के नाम पर क्या क्या,
पाए हैं सदमात् न पूछो॥

जो 'साबिर' का राज़े-जुनूं है॥
सब पूछो, वह बात न पूछो॥

मुँह ढँककर सो जाओ 'साबिर'
बस्ती के हालात न पूछो॥