भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कर्फ़्यू / पॉल एल्युआर / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:11, 26 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पॉल एल्युआर |अनुवादक=उज्ज्वल भट्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि दरवाज़ों पर पहरा था,
हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि उन्होंने हमें क़ैद कर लिया,
हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि सड़कों पर जाने की मनाही थी,
हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि शहर तो सोया हुआ था ?
हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि वह भूखी और प्यासी थी,
हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि हमें कोई बचानेवाला नहीं था,
हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि रात तो गहरी थी,
हम कर ही क्या सकते थे, क्योंकि हमें जो प्यार था ?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य