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सुरंग में बुझती लालटेन / नोमान शौक़

Kavita Kosh से
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जब क़त्ल होता है
एक निर्दोष इन्सान का
निकल आते हैं
उसके ख़ून की हर बूंद से
बेशुमार हत्यारे,शातिर लुटेरे
और निर्लज्ज बलात्कारी

ये हत्याएं करते हैं
(कुछ लोग चूमते हैं
इनके ख़ून से रंगे हाथों को)
और खोल कर रख देते हैं
दुनिया के किसी भी कोने से उठाए गए
धर्मग्रन्थ का कोई पुराना नुस्ख़ा
आपके सामने

ये लूटते हैं
दुकानों, मकानों, खेतों खलिहानों को
और आपके हाथ बांधकर
लिटा देते हैं पेट के बल
किसी तारीख़ी मुजस्समे के सामने

ये निर्वस्त्र करते हैं
अधनंगी लड़कियों को पूरी तरह
दाग़ते हैं जलती हुई सिगरेट से
उनके छुए अनछुए अंगों को
और चले जाते हैं
शून्य की अवस्था में,
परमात्मा में विलीन होने
फिर थोड़ी देर बाद
पाए जाते हैं बातें करते हुए
फ़्रायड के फ़लसफ़े पर
किसी काफ़ी होम या पब में

आपको अधिकार है
इनसे जी भर के नफ़रत करने का
लेकिन
ये आम हत्यारे,आम लुटेरे
और आम बलात्कारी नहीं
जिनके पास कोई तर्क नहीं होता
अपने दुष्कृत्यों का औचित्य बताने के लिए !