भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उन्हें एतराज है / नोमान शौक़
Kavita Kosh से
Nomaan Shauque (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 00:17, 14 सितम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: वे कहते हैं<br /> वसंत रुक क्यों नहीं जाता<br /> उनके गमले में उगे पौधों ...)
वे कहते हैं
वसंत रुक क्यों नहीं जाता
उनके गमले में उगे पौधों पर
ठहर क्यों नहीं जाता
हमेशा के लिए पानी
गांव के तालाब में
धरती पर गिर कर
क्यों खाद में तब्दील हो जाते हैं
पलाश के फूल
क्यों छोड़ जाती हैं
अमावस के पदचिन्ह
चांदनी रातें उनकी खिड़कियों पर
सुरा और सुन्दरी के बीच रहकर भी
क्यों बूढे हो जाते हैं वे
उन्हें ऐतराज़ है !
उन्हें ऐतराज़ है
आख़िर घूमती क्यों है पृथ्वी !